Treating kidney stone through Ayurveda

क्या करती है किडनी?

किडनी शरीर के कुशल रसायन विशेषज्ञ के रूप मैं जानी जाती है ।

ये शरीर के जल और रसायनों को संतुलित रखती है । ये रक्त से अनावश्यक एब लेते उत्पादों क्रो हटाती है

ये ऐसे विभिन्न हार्मोनों और रसायनों का उत्पादन करती है, जिनसे लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद मिलती है । ये शरीर को विटामिन-D जो आपकी हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखता है, का प्रयोग करने में मदद करती है । ये आपके रक्तचाप क्रो नियन्त्रण मैं रखती है ।

 

मूत्र संबंधी प्रणाली कैसे कार्य करती है?

मुह संबधी प्रणाली मैं, दो किडनी एव मुह वाहिनियाँ, फूंश्याय और कूमाग शामिल होते हैं। किडनी रक्त से अनावश्यक उत्पाद हटाती है, मूव वाहिंनियॉ- इन अपशिष्ट उत्पादो को किडनी से मूत्राशय तक मुत्र के रूप मे ले जाती ह है।


लक्षण वया हैं?

पीठ के निचले हिस्से मैं अथवा पेट के निचले भाग में अचानक तेज  दर्द, जो कुछ मिनटों या घंटों तक बना रहता है तथा इसके बाद बीच-बीच में आराम मिलता है ।  दर्द के साथ जी मिचलाना तथा उलटी होने की शिकायत भी ही सक्ती है । यदि मूव संबधी प्रणाली के किसी

भाग मैं संक्रमण भी है तो इसके लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, पसीना आना तथा पेशाब आने के साथ दर्द, जलन या खुन होना शामिल को सकते हैं। क्खिनी की पथरी से जुडा दर्द असहनीय होता है । पथरी से, किडनी क्रार्यं करना बंद का सकती है, जिससे जान को खतरा हो सकता है । यदि इसका उपचार नहीं किया जाए तो इससे किडनी स्थायी रूप से खराब हो सकती है । एक्स-रे अथवा  सोनोग्राफी, डाई इंजेक्शन आदि परीक्षणों से किडनी की पथरियों का निदान किया जाता है ।

 

किडनी की पथरी क्या है?

किडनी की पथरी एक ठोस क्रिस्टल पिंड होती है, जो मूत्र से छूटने वाले क्रिस्टल अथवा छोटं कणों से विकसित होकर मिनी के अदा बनती है । किडनी की पथरी अलग अलग आकर की होती है और ये और ये रेत के कण के समान छोटी अथवा टंनिस बॉल जैसी बडी भी हो सकती है ।

 

पथरी बनने के कई कारण होते है

  1. मूत्र संबधी प्रणाली के किसी भी क्षेत्र में बार-बार होने बाला संक्रमण
  2. बहुत ही कम द्रव (तरल) पीना।
  3. मूत्र सबेंधी प्याली के मार्ग का अवरुद्ध हो जाना ।
  4. आहार में अत्यधिक कैल्सियम एव विटामिन-सी का प्रयोग.
  5. गठिया, औतिडियों में लंबे समय से सूजन तथा हाईंपरशाइरोंयडिज्म ।

 

पथरी की आशंका को कैसे कम करे

  • लगभग 50 प्रतिशत मामलों मैं गुर्दे की पथरी दोबारा हो जाती है । इसलिए रोकथाम महत्वपूर्मं है ।
  • भरपुर पानी लें। कम से कम .तीन लीटर प्रतिदिन । ५ प्न विटामिन-सी (4 ग्राम और अधिक प्रतिदिन) की बडी मानी लेने तथा केष्ट्रशयम आधारित अप्लनाष्टाकों का अत्यधिक प्रयोग करने से बचें।
  • सब्जियाँ (मूली और वच्चच्छी), फल (तरबूज) तथा दाले (कृलथी और ज़ो) ज्यादा ले ।
  • प्रतिदिन क्लथी की दाल (लगभग 20 से 30 ग्राम) को रातभर भिगोकर, सुबह खाली पेट चबाएँ।

हर्बल औषधियों परियों के बनने की प्रकिया को रोको तथा छोटी पथरियों को विखंडित करने में सुरक्षित एवं अत्यधिक प्रभावी सिद्ध हुईं है । छोटी पथरियाँ, जो स्वय बाहर नहीं निकल पाती है, का इलाज अधिक उग्वां वाले कपनी तरंगों (शॉक वेब) से क्रिया जाता है मैं जो पधरियों को रेत के कणों के आकार मैं तोड़ती है तकि ये पेशाब करने के दौरान आसानी से निकल सके । सर्जरी सामान्यत: केवल, बसी पथरियों के मामले में की जाती है1 पत्थरचटा (पाषापाभरे) एब वरुण की छाल भी पथरी को विखंडित करने मैं सफ्ता पाई गर्व है।  इसके अलावा गोखरू, पुनर्नवा एवं  दैग्रनेक जडी-बूटियों का पथरी की  रोकथाम एवं उपचार मैं साली से प्रयोग  किया जाता रहा है । प्किसी भी दबा का सेवन करने से पाले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

 

(Taken from Article of Dr Satish Agrawal in published in Feb 2012)