Benefits of Jaggery

गुड के स्वरूप व स्वाद से शायद ही कोई बच्चा या  बूढा हो, जो परिचित न हो । यह एक एसा खाद्य पदार्थ है, जा किसी भी घर को रसोई ने बिना किसी  शंका के यकीनन मिल जाएगा । जितना यह विविध व्यंजन व मिठाइयों का बनाने के काम मे आता है, संभवत उतने ही औषधीय गुणो से परिपूर्ण भी है ।

यह तो हम सभी जानते हैं कि यह गन्ने क्रे रस का लोहे की कड़ाही मॅ गर्म यहि बनाया जाता है तथा स्वाद में मीठा व बच्चों का प्रिय होता है । जानिए  गुड के औषधीय पहलू। आयुर्वेद में गुड़ को अनेक रोगो के उपचार में सहयांगी बताया है ।

 

गुड़ के कुछ खास नुस्खे

  1. पेट में भारीपन व जी घबराना में गुड़ व सोहे ।
  2. अजीर्ण (डिसपेपसिया) में गुड़ व पिपली चूर्ण ।
  3. मृह्रकृच्छ (पेशाब की रुकावट) में गुड़ व जीरा ।
  4. खून की कमी, शरीर की सूजन में गुड़ व हरड़।
  5. अस्थमा (श्वास) मैं गुह व सरसों का तेल ।
  6. खुन की खराबी से त्वचागत रोगों में गुड़ व घी।
  7. पिस्ती (अर्टिंकेरिया) में गुड़ व अजवाइन ।
  8. पैशिज व मलबद्धता में गुड़ व बेलपत्त ।
  9. सदी-खाँसी मैं गुड़ व हल्दी।
  10. उदरगत कृमि में गुड़ व क्रम्पिलक का सेवन लाभप्रद है ।

जहाँ त्तक मात्रा का सवाल है, एक खुराक में गुड़ तकरीबन । से 10 ग्राम व अन्य अन्य चूर्ण 3 से 5 ग्राम लेना चाहिए । मधुमेह (डायबिटीज) के मरीज अपने चिकित्सक की सलाह अनुसार गुड़ की मात्रा का निर्धारण करें । इसके अलावा शुद्र व पुराना गुड़ वात-पित्नशामक, मधुर, रक्तशोधक, बृष्य, मूत्र व दस्त की लाने वाला होता है । साथ ही हृदय के लिए भी बलकारक होता है । अशुद्ध गुह क्षारयुक्त, मेदमांसवर्द्धक व कृमि उत्पन्न करने वाला होता है । नया गुड़ (एक बर्ष के भीतर बनाया हुआ) भी कफ, स्वास, वास ब कृमि को उत्पन्न करने वाला होता है । अत: गुड़ शुद्ध व पुराना ही उपयोग में लेना चाहिए । आधुनिक मतानुसार 15 ग्राम मुड़ में तकरीबन 14 ग्राम कार्वोहाहड्रैट, 0.2 ग्राम प्रोटीन व 0.1 ग्राम वसा होती है । साथ ही यह लौह धातु का अच्छा स्रोत है । 1 ग्राम गुड़ से करीब 4 से 5 कैलोरी उर्जा प्राप्त होती है ।

 (Taken from Article of Dr Satish Agrawal in Sehat Magazine in Feb 2011)